किरण जब ऊपर पड्त्ती है
आहिस्ता आलस उतारकर खिलती हैं ये नन्हे कलियाँ
फ़िर मुस्कुराती हैं फूल बनके
अपने दैनिक जीवन की सोच थोडी भी नही है
चारों तरफ़ खुश्बू फैलाकर हमको खुशी दिलाती हैं
इस स्वार्थी दुनिया में एक दिन की खुशी देकर स्वर्गीय बन जाती हैं
क्या ये सारे फूल हरि के लिए हार बनती हैं ?
आपस में हर एक फूल तड्पती हैं
एक दिन की परियां , हरि के गले में जब चड्ती हैं, तब उनका जन्मदिन है
क्या इन सबको वो मौका मिलता है ?
फ़िर भी खिलती हैं, हिलती हैं , खुशृबू फैलाती हैं, मुर्झाती भी हैं
4 comments:
Amazing one...very true...
अपने दैनिक जीवन की सोच थोडी भी नही है
चारों तरफ़ खुश्बू फैलाकर हमको खुशी दिलाती हैं .... Tats the beauty of nature...rather Gods Creation..Nature gives us without any expectations..
Cheers'
Deviram
Im sorry again... Its becmg a curse I cant read Hindi
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